Wednesday 27 August 2014

दर्द भरी कविता





तुमको छुपा रखा हे इन पलकों मे,
पर इनको ये बताना नहीं आया,
सोते हुए भीग जाती हे पलके मेरी,
पलकों को अब तक दर्द छुपाना नहीं आया...!

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.