Wednesday 17 April 2013

दर्द-ए-दिल की शायरी

टीस बाकि है शायद दिल के किसी खाने में.
अभी तकलीफ बहोत होती है मुस्कुराने में.. वक्त के साथ सबके चेहरे बदल जाते हैं ,
डर सा लगता है अब तो दोस्त भी बनाने में..
जो न ढाला खुद को वक्त के टकसाल में,
चला है ऐसा सिक्का कब इस ज़माने में..
शमा दिया था खुदा ने रौशनी लुटाने को,
लगा दिया है उसे नशेमन जलाने में..
शहर के तौर-तरीके हमने सीखा न
लूट गए हैं हम तो वफायें निभाने में..

प्यार भरी शायरियाँ


उन्हें चाहना हमारी कमजोरी है,
उनसे कह नही पाना हमारी मजबूरी है,
वो क्यूँ नही समझते हमारी खामोशी को,
क्या प्यार का इज़हार करना जरूरी है..

दर्द भरी शायरियाँ

हम कभी मिल ना पाऐ तो माफ करना,
आप को याद ना कर पाऐ तो माफ करना,
इस दिल से तो कभी हम भुला ना पायेंगे आपको,
पर ये दिल ही अगर रूक जाऐ तो माफ करना..

दर्द भरी शायरी

बिन बात के ही रूठने की आदत है;
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है;
आप खुश रहें, मेरा क्या है;
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है।

 दिल की बात शायरी के साथ..!